नोटा यानी राइट टू रिजेक्ट। चुनाव के दौरान प्रत्येक मतदाता को यह अधिकार है कि अपने पसंदीदा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करें। अगर निर्धारित प्रत्याशियों की सूची में कोई उसके पसंद का नहीं है, तो इसके लिए नोटा का विकल्प चुन सकता है। वर्ष 2013 में राइट टू रिजेक्ट के तहत यह अधिकार मतदाताओं को मिला है। 2014 के लोकसभा चुनाव से इवीएम में प्रत्याशी की सूची में नोटा का बटन भी शामिल हो गया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में तीसरी बार इस बटन का उपयोग होगा।
2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय सीट के चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया था। यहां कांटे के टक्कर में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा मात्र 1445 वोट से चुनाव जीत गये थे। कांग्रेस के कालीचरण मुंडा दूसरे स्थान पर रहे। वहीं 21 हजार 245 वोट लाकर नोटा तीसरे स्थान पर रहा। यानि हार जीत के अंतर से काफी अधिक वोट नोटा को मिला था। एक फीसदी से भी कम वोट के अंतर से हार जीत का फैसला हुआ। 2019 के लोकसभा चुनाव में खूंटी सुरक्षित सीट से विजयी प्रत्याशी भाजपा के अर्जुन मुंडा को 382638 0वोट मिले थे, वहीं कांग्रेस के कालीचरण मुंडा को 381193 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर नोटा रहा था, जिसने 21245 वोट हासिल किये थे। चौथे स्थान पर निर्दलीय प्रत्याशी मीनाक्षी मुंडा थी, जिसने 10989 मत प्राप्त किये थे। जेएचकेपी कें अजय टोपनो को 8838 वोट, बीएसपी की इंदुमति देवी को 7663, निर्दलीय सुखराम हेरेंज को 5255, निर्दलीय नियारन हेरेंजको 4560, आरएसजीपी की सिविल कंडुलना को 3895 एचबीपी की अवनिाशी मुंउू को 2373 एएनपी के मुन्नाबड़ाईक को 1864 और बीएमएसएम के नील जस्टिन बैक ने भी 1864 वोट प्राप्त किये थे।
इस बार भाग्य आजमा रहे है सात उम्मीदवार
2024 के लोकसभा चुनाव में खूंटी संसदीय सीट से दीलय-निर्दलीय सात प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वैसें 16 उम्म्मीदवारों ने नामांकन पत्र दखिल किया था, लेकिन नौ उम्मीदवारों की छंटनी संविक्षा में हो गई थी। इस बार भी इस संसदीय सीट में दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने फिर से उन्हीं पुराने प्रतिद्वंदियों को मैदान में उतारा है। भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा और कांग्रेस के कालीचरण मुंडा फिर से आमने सामने हैं। झारखंड पार्टी ने अपर्णा हंस पर दांव खेला है। अपर्ण हंस और निर्दलीय बसंत कुमार लोंगा की चुनावी मैदान में इंट्री से मुकाबला और राोचक हो गया है, जो सात प्रत्याशी मैदान में हैं उनमें भाजपा से अर्जुन मुंडा, कांग्रेस से कालीचरण मुंडा, बहुजन समाज पार्टी की सावित्री देवी, झारखंड पार्टी की अपर्णा हंस, भारत आदिवासी पार्टी की बबीता कच्छप, निर्दलीय पास्टर संजय कुमार तिर्की और बसंत कुमार लोंगा शामिल हैं।