धर्मदेश

हर-हर महादेव के जयकारों के बीच छह महीने बाद खुला केदारनाथ धाम के कपाट

श्रीकेदारनाथ धाम: हिमालय की गोदी में बसा दिव्यता

श्रीकेदारनाथ धाम के खुलने व बंद होने का निर्णय भारतीय ज्योतिष गणना पर आधारित है। मंदिर के कपाट खुलने का निर्णय अक्षय तृतीया के शुभ दिन और कपाट बंद भैयादूज के दिन किये जाते हैं। भगवान शिव की मूर्ति को उखीमठ (ओंकारेश्वर मंदिर) में लाया जाता है और लगभग 6 महीनों तक बाबा केदारनाथ की पूजा पुरे विधि विधान यहीं पर होती है।
भारतीय संस्कृति में धर्म और तप की महिमा अद्वितीय है। धर्मस्थलों में चार धामों का महत्त्व अपने आप में अद्वितीय है, और इनमे से एक धाम है – श्रीकेदारनाथ। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र देवभूमि में स्थित यह हिन्दू धर्म के 12 ज्योतिलिंगों में एक है । श्रीकेदारनाथ धाम की धरोहर में निहित उसकी अनूठी महिमा, रहस्यमयता और ध्यान की गहराई का वर्णन शब्दों में करना संभव ही नहीं है, लेकिन हम इस देवगृह का एक छोटा सा परिचय करा सकते हैं।

केदारनाथ धाम का नाम भगवान शिव के एक प्रसिद्ध नाम पर आधारित है। इसे दार्शनिको की भाषा में “केदारनाथ” नाम का अर्थ है ” क्षेत्र का भगवान “। यह संस्कृत के शब्द केदारा (“क्षेत्र”) और नाथ (“भगवान”) से लिया गया है। इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां “मोक्ष की फसल” उगती है।

केदारनाथ मंदिर का वर्णन महाभारत महाकाव्य में है। कौरवो के विरुद्ध महाभारत की लड़ाई जीतने के बाद, पांडवों ने युद्ध के दौरान अनगिनत बंधू बांधवो की हत्या के अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद मांगा। भगवान शिव उनसे बार-बार बचते रहे और पांडवों द्वारा पीछा किए जाने पर, उन्होंने ठीक उसी स्थान पर जमीन में गोता लगाया, जहां अब केदार नाथ पवित्र गर्भगृह है। मंदिर के अंदर शिव , एक शंक्वाकार चट्टान के रूप में है और इसकी पूजा भगवान सदाशिव रूप में की जाती है। मंदिर के अंदर भगवान शिव की एक पवित्र प्रतिमा भी है, जो कपाट बंद होने के बाद उखीमठ में ला कर पुरे विधि विधान से पूजा की जाती है।

यहां के मंदिर बहुत ही प्राचीन है। और विपरीत भौगोलिक परिवेश और कठिन मौसम की प्रतिकूलता के बीच सनातन धर्म की शाश्वत रूप में स्थित है, जिसे प्राचीन समय से ही तपस्या और ध्यान का केन्द्र माना जाता है। बैरागी और संन्यासी अपने जीवन को ध्यान और तप के साथ इस पुण्य क्षेत्र में व्यतीत करते हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिक शक्ति का अद्वितीय केंद्र बन जाता है।

केदारनाथ धाम की यात्रा भारतीय धर्म की एक प्रमुख तीर्थयात्रा है। यहां पर भगवान शिव की धार्मिक महिमा को अनुभव करने के लिए लाखों श्रद्धालुओं की एकान्त भक्ति की ओर प्रेरित करता है। यहां का परिवेश अद्वितीय है, जो भक्तों को प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का अनुभव कराता है।

इस धाम का मुख्य ध्येय भगवान शिव की पूजा और अर्चना है। भगवान की मूर्ति के सामने आकर्षित होने के लिए श्रद्धालुओं का पूर्ण समर्पण यहां के मंदिर में सुनिश्चित किया जाता है।

केदारनाथ धाम का सबसे प्रसिद्ध स्थल है “केदारनाथ मंदिर”। यह मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है और यहां पर भगवान की शिवलिंग का संरक्षण होता है। मंदिर की आधिकारिक अवधि 6 महीने होती है, जो अप्रैल से नवंबर तक चलती है।

केदारनाथ धाम की सफल एवं सुगम यात्रा के की लिए ,यहां की प्रबंधन समिति की वेबसाइट पर विशेष और सही जानकारी मिलेगी।
श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति एक संगठन है जो उत्तराखंड राज्य के बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मंदिरों की प्रबंधन, विकास और देखभाल की जिम्मेदारी निभाती है। यह समिति धार्मिक और पर्यटन संबंधित कार्यों को संचालित करती है ताकि यात्री और श्रद्धालुओं को सुविधाएं प्राप्त हो सकें और मंदिरों का प्रबंधन सुगम हो।

केदारनाथ धाम की यात्रा अपने आप में एक अनूठा अनुभव है।

 

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