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UNESCO विश्व धरोहर सूची में शामिल हुआ अहोम वंश का माउंड-बरीयल सिस्टम(मोइदम्स)

भारत का एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर, असम के अहोम वंश का माउंड-बरीयल सिस्टम, जिसे ‘मइदाम‘ के नाम से जाना जाता है, को वर्ष 2023-24 के लिए UNESCO विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। यह नामांकन भारत द्वारा किया गया था, और इसे विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिली है।

अहोम वंश, जिसने 13वीं से 19वीं सदी तक असम पर शासन किया, अपने अद्वितीय माउंड-बरीयल सिस्टम के लिए प्रसिद्ध है। ये माउंड्स, जिन्हें ‘मइदाम’ कहा जाता है, अहोम शासकों और उनके परिवार के सदस्यों के लिए अंतिम विश्राम स्थलों के रूप में उपयोग किए जाते थे। मइदाम्स का निर्माण और उनकी स्थापत्य शैली अहोम संस्कृति और उनकी धार्मिक मान्यताओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

मइदाम्स का महत्व

मइदाम्स एक प्रकार के भूमिगत मकबरे होते हैं, जो मिट्टी और ईंटों से बने होते हैं। ये मकबरे अहोम वंश के शासकों की स्मृतियों को संजोने का एक माध्यम थे। इन मइदाम्स का आकार और संरचना शासक की स्थिति और प्रतिष्ठा को दर्शाती है। मइदाम्स के चारों ओर बाग-बगीचे और जलाशय भी बनाए जाते थे, जो उन्हें और भी विशेष बनाते थे।

UNESCO सूची में शामिल होने का महत्व

UNESCO विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से मइदाम्स को वैश्विक मान्यता मिली है। यह न केवल अहोम वंश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने में मदद करेगा, बल्कि इसे विश्वभर के पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनाएगा। इस मान्यता के साथ, भारत की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ गई है।

असम की इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण और प्रचार-प्रसार एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आने वाली पीढ़ियाँ भी अहोम वंश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से परिचित हो सकेंगी। मइदाम्स का यह सम्मान असम और भारत दोनों के लिए गर्व का विषय है, और इसे विश्व धरोहर के रूप में मान्यता मिलने से यह सुनिश्चित होगा कि यह धरोहर आने वाले समय में भी सुरक्षित और संरक्षित रहे।

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