राजनीति

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में रिश्तों का अनोखा संघर्ष: कहीं पिता-पुत्र तो कहीं पति-पत्नी आमने-सामने

झारखंड विधानसभा चुनावों में इस बार दिलचस्प नज़ारे देखने को मिल रहे हैं। राजनीति में रिश्तों की परीक्षा हो रही है, जहां कुछ सीटों पर पिता-पुत्र और पति-पत्नी जैसे करीबी रिश्ते ही एक-दूसरे को चुनौती देने के लिए आमने-सामने हैं। इस चुनावी माहौल ने मतदाताओं के बीच उत्सुकता और रोमांच को कई गुना बढ़ा दिया है, और हर कोई यह देखना चाहता है कि क्या रिश्तों पर राजनीति भारी पड़ेगी या फिर रिश्तों की भावना ही जीत होगी।

टुंडी विधानसभा: पिता-पुत्र की सीधी टक्कर
धनबाद जिले की टुंडी सीट पर झामुमो विधायक मथुरा प्रसाद महतो का सामना इस बार उनके अपने बेटे से है। मथुरा प्रसाद महतो कई वर्षों से इस क्षेत्र के विधायक हैं, और उनका जनाधार मजबूत माना जाता है। पर इस बार उनके बेटे ने उनके खिलाफ ताल ठोक दी है।टुंडी के मतदाताओं के लिए यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि पिता-पुत्र की इस टक्कर में जीत किसकी होगी।

गोमिया सीट: पति-पत्नी के बीच चुनावी मुकाबला
बोकारो जिले की गोमिया विधानसभा सीट पर आठ प्रत्याशियों ने नामांकन किया है, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने हैं निर्दलीय उम्मीदवार चितरंजन साव और उनकी पत्नी, जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता देवी। पति-पत्नी का एक ही सीट से चुनाव लड़ना जनता के लिए एक अनोखा और हैरान कर देने वाला दृश्य है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि क्या राजनीति इन रिश्तों में दरार डाल देगी, या फिर चुनाव के बाद भी रिश्तों में वही मिठास बरकरार रहेगी।

रिश्तों के दायरे में बंधी राजनीति
इस बार झारखंड विधानसभा चुनावों में रिश्तों का इम्तिहान है। जहां एक ओर पारिवारिक संबंध एकता का प्रतीक होते हैं, वहीं चुनावी मैदान में ये संबंध नए संघर्षों और भावनात्मक उलझनों को भी जन्म दे रहे हैं। पिता-पुत्र और पति-पत्नी के बीच यह चुनावी टक्कर झारखंड की राजनीति में नए समीकरण बना रही है और जनता की नजरें इन रिश्तों पर टिक गई हैं।

क्या कहते हैं मतदाता?
इन चुनावों में मतदाताओं के लिए यह चुनावी दंगल बेहद दिलचस्प है। जहां कुछ लोग इसे लोकतंत्र की खूबसूरती मानते हैं, वहीं कुछ का मानना है कि राजनीति अब रिश्तों की सीमाएं भी पार कर रही है। इस बार झारखंड की जनता रिश्तों की इस परीक्षा में वोट देकर ये तय करेगी कि राजनीति की कसौटी पर रिश्तों की जीत होती है या हार।

इन चुनावों का परिणाम कुछ भी हो, पर एक बात तो तय है कि झारखंड की जनता इस बार पारंपरिक राजनीति से हटकर एक अनोखे चुनाव का हिस्सा बनेगी, जहां रिश्तों और सत्ता का अनोखा मेल देखने को मिल रहा है।

Unique conflict of relationships in Jharkhand Assembly elections 2024: At some places father and son and at other places husband and wife face to face.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}