धनबाद: झारखंड के धनबाद जिले में आगामी विधानसभा चुनावों के बीच टुंडी विधानसभा क्षेत्र के बामणबाद और खैरटांड़ के ग्रामीणों ने अपने क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के अभाव से आक्रोशित होकर वोट बहिष्कार की घोषणा की है। इन ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 77 साल और झारखंड राज्य बने 24 साल हो चुके हैं, लेकिन उनके गाँवों तक सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं अब तक नहीं पहुंच पाई हैं।
बामणबाद के ग्रामीणों ने कहा, “रोड नहीं तो वोट नहीं”
टुंडी के बामणबाद के ग्रामीणों का कहना है कि करीब 500 की आबादी वाले इस गांव में सड़क, बिजली और पानी जैसी सुविधाएं आज तक नहीं पहुंच पाई हैं। उन्होंने बताया कि गाँव में कोई भी जनप्रतिनिधि कभी देखने नहीं आया। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें मरीजों को खटिया पर लादकर अस्पताल तक ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि जब तक बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलती, वे विधानसभा चुनाव में वोट नहीं करेंगे।
खैरटांड़ और पुरनाटांड़ के ग्रामीणों का भी ऐलान
टुंडी विधानसभा क्षेत्र के रामपुर पंचायत के खैरटांड़ और पुरनाटांड़ गाँव के ग्रामीणों ने भी इसी तरह वोट का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इन गाँवों के लोगों का कहना है कि सड़क नहीं होने के कारण एंबुलेंस और अन्य सुविधाएं गांव तक नहीं पहुंच पातीं। शादी-ब्याह में बारात की गाड़ियाँ दरवाजे तक नहीं आतीं, जिससे सामाजिक परेशानियां भी बढ़ रही हैं। इस गाँव की आबादी भी लगभग 500 है।
जनप्रतिनिधियों पर उठाए सवाल
ग्रामीणों ने अपने प्रतिनिधियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि झामुमो के मथुरा प्रसाद महतो, जो तीन बार विधायक रहे हैं, और आजसू से भी एक विधायक यहाँ से चुने गए, लेकिन किसी ने इस क्षेत्र में सड़क, बिजली या पानी की समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे और जब तक उनके गाँव की समस्याएं हल नहीं होतीं, वे वोट नहीं देंगे।
वोट बहिष्कार के पीछे बदलाव की उम्मीद
हालांकि, ग्रामीणों का यह भी मानना है कि चुनाव ही उनके अधिकारों और सुविधाओं के लिए संघर्ष का सही मंच हो सकता है। जिले के प्रशासनिक अधिकारी और चुनाव आयोग ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं ताकि वे अपने वोट का प्रयोग कर विकास की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
वोट का बहिष्कार ग्रामीणों के आक्रोश का प्रतीक है, लेकिन इस फैसले का उद्देश्य प्रशासन और प्रतिनिधियों का ध्यान उन समस्याओं की ओर आकर्षित करना है जिनसे वे लंबे समय से जूझ रहे हैं।
Villagers of Bamanabad and Khairtand of Dhanbad announced vote boycott