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यूनेस्को की इंटैंजिबल हेरिटेज सूची में शामिल हुई दीपावली

PM मोदी बोले – “यह हमारी सभ्यता की आत्मा का वैश्विक सम्मान”

भारत के सांस्कृतिक इतिहास में बुधवार का दिन एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज हो गया। देश के सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से मनाए जाने वाले पर्व दीपावली को संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को (UNESCO) ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल कर लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया: “हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण”

इस ऐतिहासिक मान्यता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे भारत की सांस्कृतिक चेतना की वैश्विक स्वीकृति बताया।

प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा:

“दीपावली को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया जाना हर भारतीय के लिए अत्यंत गर्व और गौरव का विषय है। यह पर्व केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश, नकारात्मकता पर सकारात्मकता और निराशा पर आशा की विजय का प्रतीक है। यह निर्णय हमारी सभ्यता की आत्मा का वैश्विक सम्मान है और आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत से जोड़ने का सशक्त माध्यम बनेगा।”

यूनेस्को की सूची में क्यों शामिल हुई दीपावली?

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची उन परंपराओं, सामाजिक प्रथाओं और उत्सवों को मान्यता देती है जो आज भी समुदायों के जीवन में सक्रिय रूप से जीवित हैं।

  • सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: दीपावली पारिवारिक एकता, सामाजिक सद्भाव, दान-पुण्य, कला (रंगोली, सजावट) और लोक परंपराओं का उत्सव है।
  • सार्वभौमिक मूल्य: बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश इसे वैश्विक मानवीय मूल्यों से जोड़ता है।
  • पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरण: दीपावली की परंपराएँ मौखिक, सामाजिक और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ती रही हैं।

दीपावली का इस सूची में शामिल होना भारत की सांस्कृतिक कूटनीति और सॉफ्ट पावर के लिए एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। इससे पहले योग, कुंभ मेला और अन्य भारतीय परंपराएँ भी वैश्विक मान्यता प्राप्त कर चुकी हैं।

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