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भारत में रामसर स्थलों की संख्या 96 हुई: दो नए वेटलैंड शामिल

नई दिल्ली: भारत में रामसर स्थलों की संख्या बढ़कर एक नए रिकॉर्ड 96 पर पहुँच गई है। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। अंतर्राष्ट्रीय महत्व के दो और महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों (वेटलैंड) को इस प्रतिष्ठित सूची में जोड़ा गया है। यह वृद्धि देश की वैश्विक प्रतिबद्धता को दर्शाती है, विशेषकर जब 2014 में यह संख्या मात्र 26 थी।

नए रामसर स्थल (New Ramsar Sites in India)

भारत में रामसर स्थलों की संख्या में वृद्धि करने वाले ये दो नए वेटलैंड संरक्षण स्थल हैं:

  • सिलिसेढ़ झील, अलवर, राजस्थान (Siliserh Lake, Rajasthan)
  • कोपरा जलाशय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ (Kopra Reservoir, Chhattisgarh)

यह विस्तार भारत सरकार की प्रमुख ‘अमृत धरोहर’ योजना के तहत एक सुनियोजित प्रयास का हिस्सा है।

‘अमृत धरोहर’ योजना का महत्व और लक्ष्य

केंद्र सरकार की यह पहल वेटलैंड संरक्षण को केंद्र में रखती है। अमृत धरोहर योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • प्राकृतिक क्षेत्रों का संरक्षण: पानी से भरे प्राकृतिक क्षेत्रों का वैज्ञानिक प्रबंधन और संरक्षण।
  • जैव विविधता: प्रवासी पक्षियों और स्थानिक प्रजातियों सहित जैव विविधता की रक्षा करना।
  • आजीविका: स्थानीय समुदायों की आजीविका को मजबूत करना और पर्यावरण-पर्यटन (Eco-tourism) को बढ़ावा देना।

रामसर स्थल भारत अब 100 स्थलों के लक्ष्य के बहुत करीब है, जो वैश्विक स्तर पर भारत की पर्यावरणीय नेतृत्व क्षमता को मजबूत करेगा।

रामसर कन्वेंशन और भारतीय आर्द्रभूमियां

रामसर स्थल क्या है? यह वे आर्द्रभूमियां हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व का माना जाता है, जिन्हें रामसर कन्वेंशन (1971) के तहत नामित किया जाता है। यह संधि वेटलैंड संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक ढाँचा है। भारत ने 1982 में इस कन्वेंशन की पुष्टि की थी।

दो नए स्थलों के जुड़ने से भारत में रामसर स्थलों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे देश के वेटलैंड संरक्षण प्रयास मजबूत हुए हैं और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में दीर्घकालिक सहायता मिलेगी। रामसर स्थल भारत की सूची अब पहले से कहीं अधिक समृद्ध है।

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