पटना: बिहार के पूर्व डीजीपी और चर्चित आईपीएस अधिकारी DP OJHA का 5 दिसंबर को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह अपनी निडरता और सख्त प्रशासनिक फैसलों के लिए जाने जाते थे। ओझा ने अपने कार्यकाल के दौरान कई विवादों का सामना किया, लेकिन वे अपनी ईमानदारी और साहसिक कदमों से चर्चा में बने रहे।
लालू-राबड़ी सरकार से टकराव और शहाबुद्दीन पर कार्रवाई
D P OJHA ने 2003 में राबड़ी देवी की सरकार के दौरान डीजीपी का पद संभाला। इस दौरान उन्होंने बाहुबली और तत्कालीन सिवान सांसद शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसते हुए उनके खिलाफ हत्या, अपहरण और फिरौती जैसे मामलों में कार्रवाई शुरू की। शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी अभियान चलाकर ओझा ने सत्ताधारी नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया।
पद से हटाए गए, फिर दिया इस्तीफा
शहाबुद्दीन पर कार्रवाई और राजद नेताओं से बढ़ते टकराव के चलते ओझा को 2003 में डीजीपी पद से हटा दिया गया। फरवरी 2004 में रिटायरमेंट से पहले ही उन्होंने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया।
राजनीति में असफलता
पुलिस सेवा छोड़ने के बाद डीपी ओझा ने राजनीति में कदम रखा। 2004 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बेगूसराय से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। उनकी जमानत भी जब्त हो गई। इस चुनाव में जदयू के ललन सिंह ने कांग्रेस की कृष्णा शाही को हराया था।
डीपी ओझा: एक साहसी अधिकारी
डीपी ओझा को उनकी निडरता और प्रशासनिक क्षमता के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने अपने कार्यकाल में कानून व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कठोर कदम उठाए। उनका जीवन और कार्यशैली युवा अधिकारियों के लिए प्रेरणा है।
श्रद्धांजलि
बिहार ने एक ऐसे अधिकारी को खो दिया, जिसने निडर होकर न्याय और ईमानदारी के लिए काम किया। डीपी ओझा का योगदान और उनकी निडरता हमेशा याद की जाएगी।
Famous former DGP DP Ojha passes away: Came into limelight due to action against Lalu-Rabri
and Bahubali Shahabuddin