नई दिल्ली: भारतीय डबल्स टेनिस को नई पहचान देने वाले और दो बार के ग्रैंड स्लैम विजेता, रोहन बोपन्ना ने शनिवार को पेशेवर टेनिस से संन्यास की आधिकारिक घोषणा कर दी। उनका दो दशक लंबा, गौरवपूर्ण सफर आज पूरा हो गया है, जिसे भारतीय टेनिस के एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में याद किया जाएगा।
उम्र को दी मात, बनाए ऐतिहासिक रिकॉर्ड
कर्नाटक के कूर्ग के छोटे से शहर से निकलकर विश्व के सबसे बड़े एरेना में ट्रॉफी उठाने तक, बोपन्ना का सफर दृढ़ता, गौरव और जुनून की मिसाल है। अपनी सर्विस को मज़बूत करने के लिए लकड़ी के लट्ठे काटने वाले इस खिलाड़ी ने खेल जगत में कई ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाए:
- वह सबसे उम्रदराज ग्रैंड स्लैम चैंपियन (पुरुष युगल में 2024 ऑस्ट्रेलियन ओपन) और डबल्स इतिहास में सबसे उम्रदराज विश्व नंबर 1 बनने वाले खिलाड़ी हैं।
- उन्होंने 2017 में गैब्रिएला डब्रोव्स्की के साथ फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स खिताब भी जीता था।
रियो ओलंपिक से लेकर डेविस कप की गौरवपूर्ण लड़ाइयों तक, बोपन्ना ने हमेशा भारतीय ध्वज को गर्व के साथ थामे रखा और पूरी एक पीढ़ी को प्रेरित किया।
भावुक विदाई: ‘यह अलविदा नहीं, धन्यवाद है’
संन्यास की घोषणा करते हुए बोपन्ना ने एक भावुक संदेश साझा किया। उन्होंने लिखा, “आप उस चीज़ को अलविदा कैसे कह सकते हैं जिसने आपके जीवन को अर्थ दिया? 20 अविस्मरणीय वर्षों के बाद, अब मैं आधिकारिक रूप से अपना रैकेट टांग रहा हूं।” उन्होंने आगे कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व करना उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान रहा।

भविष्य की ओर ‘सर्व’: नई पारी के लिए तैयार
टूर से दूर होने के बावजूद, बोपन्ना का टेनिस से नाता खत्म नहीं हुआ है। उनकी अगली ‘सर्व’ भारतीय टेनिस के भविष्य को संवारने पर केंद्रित है। वह अब ग्रासरूट कार्यक्रमों और अपनी एकेडमी के ज़रिए अगली पीढ़ी के चैंपियंस को तैयार करने के मिशन पर निकल पड़े हैं।
एक लीजेंड। एक लीडर। रोहन बोपन्ना की यह विरासत हमेशा कायम रहेगी।



