धर्मदेश

क्यों मनाई जाती है अक्षय तृतीया, क्या है इसका महत्व ? आइये जाने।

हिन्दू धर्म में चार तिथियाँ अति श्रेष्ठ मानी गयीं हैचैत्र शुक्ल प्रतिपदा,अक्षय तृतीया,दशहरा और दीपावली पूर्व प्रदोष तिथि ।

अक्षय तृतीया का हिन्दू धर्म को मानने वालों में बड़ा महत्व है, यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है ।2024 में अक्षय तृतीया 10 मई को सुबह 4 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी, जिसका समापन 11 मई को सुबह 2 बजकर 51 मिनट पर होगा।ऐसी मान्यता है की अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है यानि इस दिन सर्वसिद्ध मुहूर्त होता है,इसलिए इस दिन किसी भी कार्य करने के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती है।

हिंदू इसे एक शुभ दिन मानते हैं और इसलिए सोना और चांदी जैसी धातुएँ खरीदते हैं ।

अक्षय तृतीया के नाम में ही अक्षय का मतलब जिसका नाश नहीं हो सकता है।अक्षय तृतीया के दिन दान का भी अत्यंत महत्व है. इस दिन किए गए दान पुण्य का कई गुना फल प्राप्त होता है।

पुराणों के अनुसार, अक्षय तृतीया को मनाने के पीछे कई कारण हैं। इस दिन किए गए दान और पुण्य का फल अक्षय होता है, अर्थात् कई जन्मों तक फल मिलता है।

अक्षय तृतीया दिन कई मान्यताये है

1.भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, इसलिए भगवान की पूजा और अर्चना की जाती है।

2.अक्षय तृतीया को मां गंगा का अवतरण भी माना जाता है, जब राजा भागीरथ ने गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित कराया था। इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है।

3.अक्षय तृतीया को माता अन्नपूर्णा का जन्मदिन भी मनाया जाता है। इस दिन गरीबों को भोजन कराकर पुण्य कमाया जाता है।

4.अक्षय तृतीया के दिन महाभारत के रचनाकार महर्षि वेदव्यास जी ने भी महाभारत की रचना की थी।

5.इस दिन लोग भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा करके अपने व्यापारों में वृद्धि की कामना करते हैं।

6.अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी। इसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।

7.बंगाल में इस दिन भगवान गणेशजी और माता लक्ष्मीजी का पूजन कर सभी व्यापारी अपना लेखे-जोखे की किताब शुरू करते हैं। वहां इस दिन को ‘हलखता’ कहते हैं।

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