पुणे के पास मुलशी गांव में एक इंजीनियर से किसान बने शिंदे ने अशाधी एकादशी के अवसर पर धान के खेत में भगवान विट्ठल मौली का एक अद्भुत चित्रण किया है। यह कलाकृति 120 फीट ऊंची और 60 फीट चौड़ी है, जिसने पूरे विश्व में एक दिव्य दृश्य प्रस्तुत किया है।
अद्वितीय कलाकृति
शिंदे की इस अनोखी कलाकृति ने पूरे गांव और आसपास के क्षेत्रों में उत्सुकता और श्रद्धा का माहौल बना दिया है। भगवान विट्ठल मौली की यह छवि न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि कृषि और कला के अद्वितीय संगम का भी उदाहरण है।
शिंदे, जो पहले एक इंजीनियर थे, ने खेती में अपना करियर बदलने के बाद अपनी तकनीकी और कलात्मक दक्षताओं का उपयोग करते हुए इस अद्वितीय चित्रण को अंजाम दिया। उनकी इस रचना ने साबित कर दिया है कि कला और आस्था का मेल किसी भी माध्यम से किया जा सकता है, चाहे वह कैनवास हो या धान का खेत।
अशाधी एकादशी के पवित्र अवसर पर भगवान विट्ठल मौली की इस छवि ने लोगों के दिलों में भक्ति और श्रद्धा का संचार किया है। शिंदे का यह प्रयास न केवल उनकी कला की उत्कृष्टता को दर्शाता है, बल्कि उनकी आस्था और समर्पण को भी उजागर करता है।
शिंदे की इस अनोखी कलाकृति ने साबित कर दिया है कि जब तकनीकी ज्ञान और धार्मिक आस्था का संगम होता है, तो अद्वितीय और प्रेरणादायक कृतियों का जन्म होता है।