पोलैंड के वारसॉ में स्थित ‘जाम साहब ऑफ नवानगर मेमोरियल’ मानवता और करुणा की अद्वितीय मिसाल पेश करता है। यह स्मारक गुजरात के नवानगर के महाराजा जाम साहब दिग्विजयसिंहजी रंजीतसिंहजी जडेजा के मानवीय योगदान को समर्पित है, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बेघर हुए लगभग 1,000 पोलिश बच्चों को आश्रय और देखभाल प्रदान की।
Humanity and compassion are vital foundations of a just and peaceful world. The Jam Saheb of Nawanagar Memorial in Warsaw highlights the humanitarian contribution of Jam Saheb Digvijaysinhji Ranjitsinhji Jadeja, who ensured shelter as well as care to Polish children left homeless… pic.twitter.com/v4XrcCFipG
— Narendra Modi (@narendramodi) August 21, 2024
1942 से 1946 के बीच, जब यह बच्चे युद्ध और सोवियत शिविरों के भयानक अनुभवों से गुजर रहे थे, जाम साहब ने उन्हें अपने देखरेख में बालाचडी में एक नया घर दिया। इस कदम ने इन बच्चों को न केवल नया जीवन दिया, बल्कि उनके भविष्य की नींव भी रखी। बाद में, महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास स्थित वालिवड़े गाँव में इन बच्चों और अन्य पोलिश परिवारों को आश्रय मिला, जब तक कि वे अपने परिवारों के साथ पुनर्मिलित नहीं हो गए।
पोलैंड में जाम साहब को प्यार से ‘डोब्री महाराजा’ (अच्छे महाराजा) के नाम से जाना जाता है। उनकी इस करुणामयी सेवा को श्रद्धांजलि देने के लिए 31 अक्टूबर 2024 को वारसॉ के ओचोटा जिले के ‘स्क्वायर ऑफ द गुड महाराजा’ में एक स्मारक का अनावरण किया गया था । यह आयोजन पोलैंड की ‘काउंसिल फॉर प्रोटेक्शन ऑफ मेमोरी ऑफ कॉम्बैट एंड मार्टरडम’ और ओचोटा जिले के मेयर द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
इस स्मारक के माध्यम से जाम साहब की महानता और उनके असाधारण करुणा के कार्यों को याद किया जाता है, जो आज भी मानवता की मिसाल बने हुए हैं। यह स्मारक न केवल भारत और पोलैंड के बीच की दोस्ती को मजबूत करता है, बल्कि यह प्रेरणा भी है कि कैसे मानवीय मूल्यों की रक्षा की जा सकती है और एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सकता है।