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भारत फिर से चंद्रमा की ओर: इस बार चंद्रमा से पृथ्वी पर लौटने के लिए मिशन

18 सितंबर 2024 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission)को मंजूरी दी गई। यह मिशन चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने और वहां से पृथ्वी पर लौटने की तकनीकों का विकास और प्रदर्शन करेगा। साथ ही, इस मिशन के तहत चंद्रमा से नमूने एकत्रित कर उन्हें पृथ्वी पर लाने और उनका विश्लेषण करने का उद्देश्य भी रखा गया है। यह मिशन भारत के भविष्य के चंद्र अभियानों की नींव तैयार करेगा, जिसमें 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग और सुरक्षित वापसी का लक्ष्य निर्धारित है।

चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission)का उद्देश्य

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद नमूने एकत्र करना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। यह मिशन चंद्रयान-1, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 की श्रृंखला का अगला चरण है, जो भारत को चंद्रमा की सतह से वापस लौटने की क्षमताओं का प्रदर्शन करने में मदद करेगा। इस मिशन के तहत डॉकिंग/अनडॉकिंग, सुरक्षित वापसी, और नमूना संग्रह और उनका विश्लेषण जैसी प्रमुख तकनीकों का विकास किया जाएगा।

चंद्रयान-3 की सफलता का आधार

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग ने भारत को उन कुछ गिने-चुने देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है, जिनके पास चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने की तकनीक है। अब चंद्रयान-4 के जरिए भारत चंद्रमा से नमूने वापस लाने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता हासिल करेगा, जिससे चंद्रमा पर मानव मिशनों के लिए आधारभूत प्रौद्योगिकियां विकसित की जाएंगी।

भविष्य के लिए भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम

भारत सरकार ने अमृतकाल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विस्तारित दृष्टिकोण की रूपरेखा तैयार की है। इस योजना के तहत 2035 तक एक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन) और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय लैंडिंग का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, कई अन्य गगनयान और चंद्रयान मिशनों की भी योजना बनाई गई है, जिनके लिए आवश्यक अंतरिक्ष परिवहन और बुनियादी ढांचा क्षमताओं का विकास किया जाएगा।

चंद्रयान-4 की विशेषताएं और प्रौद्योगिकी

चंद्रयान-4 मिशन (Chandrayaan-4 Mission)के तहत सभी आवश्यक तकनीकों को स्वदेशी रूप से विकसित करने का लक्ष्य है। इस मिशन में भारतीय उद्योग और शिक्षाविदों की भागीदारी होगी, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और अन्य क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति होगी। इस मिशन की लागत ₹2104.06 करोड़ आंकी गई है, जिसमें अंतरिक्ष यान का विकास, दो लॉन्च वाहन मिशन, डीप स्पेस नेटवर्क समर्थन और डिजाइन मान्यता के लिए विशेष परीक्षण शामिल हैं।

इस मिशन के सफल निष्पादन से भारत चंद्रमा से नमूने एकत्रित कर सुरक्षित रूप से वापस लाने और उनकी वैज्ञानिक जांच करने की क्षमता हासिल करेगा। ISRO इस मिशन के विकास और संचालन के लिए पूरी जिम्मेदारी निभाएगा और इसका कार्यान्वयन और प्रबंधन अपने स्थापित तरीकों से करेगा।

चंद्रयान-4 मिशन(Chandrayaan-4 Mission) भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे भारत की अंतरिक्ष तकनीक को और मजबूती मिलेगी और देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर और भी प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त होगा।

  • India's Next Leap: Chandrayaan-4 Mission Approved for Moon Landing and Return

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