देश

वाइस एडमिरल आरती सरीन बनीं AFMS की पहली महिला महानिदेशक

नई दिल्ली: वाइस एडमिरल डॉ. आरती सरीन (Vice Admiral Dr. Arti Sarin)ने मंगलवार को सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) की महानिदेशक (DGAFMS) का पदभार संभाल लिया। वे इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला अधिकारी हैं। 38 साल के अपने लंबे करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं, जो भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

तीनों सेनाओं में सेवा का गौरव
डॉ. आरती सरीन(Dr. Arti Sarin) को भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना, तीनों सेनाओं में सेवा करने का सम्मान प्राप्त है। उन्होंने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट से लेकर कैप्टन तक, भारतीय नौसेना में सर्जन लेफ्टिनेंट से सर्जन वाइस एडमिरल तक, और भारतीय वायुसेना में एयर मार्शल के रूप में कार्य किया है। यह उनके करियर का एक बड़ा और दुर्लभ गौरव है।

महत्वपूर्ण पदों पर कार्य
डीजीएएफएमएस (DGAFMS) का पद संभालने से पहले, वाइस एडमिरल सरीन ने मेडिकल सर्विसेज नौसेना और वायुसेना की महानिदेशक के रूप में कार्य किया है। साथ ही, उन्होंने सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (AFMC) पुणे की निदेशक और कमांडेंट जैसे प्रमुख पदों पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। वे AFMC पुणे की पूर्व छात्रा हैं और रेडियोडायग्नोसिस में एमडी और रेडिएशन ऑन्कोलॉजी में डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं।

प्रशिक्षण और सम्मान
डॉ. सरीन ने पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय से गामा नाइफ सर्जरी में भी विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्हें उनकी सेवाओं के लिए 2024 में अति विशिष्ट सेवा पदक और 2021 में विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, उन्हें आर्मी और नेवी के प्रमुखों से भी कई बार सराहना मिल चुकी है।

राष्ट्रीय टास्क फोर्स की सदस्य
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. सरीन को चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्य परिस्थितियों और प्रोटोकॉल तैयार करने के लिए राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य के रूप में भी नियुक्त किया है। वे महिलाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित करने में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और सरकार की “नारी शक्ति” पहल की प्रतीक मानी जाती हैं।

डॉ. सरीन की यह उपलब्धि भारतीय सशस्त्र बलों में महिलाओं के बढ़ते योगदान को दर्शाती है और युवा महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा (AFMS) का संक्षिप्त इतिहास और गठन

मार्च 1947 में भारत सरकार ने सशस्त्र बलों की चिकित्सा सेवाओं और चिकित्सा अनुसंधान के एकीकरण पर विचार करने के लिए “आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च इंटेग्रेशन कमेटी” का गठन किया। इस समिति का नेतृत्व प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. बीसी रॉय ने किया।

समिति ने सिफारिश की कि भारतीय सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं को तीन शाखाओं में विभाजित किया जाना चाहिए:
1. सेना (आर्मी)
2. नौसेना (नेवी)
3. वायुसेना (एयरफोर्स)

साथ ही, समिति ने एक सर्वोच्च नियंत्रक की आवश्यकता बताई, जिसे सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा का महानिदेशक (Director General of Armed Forces Medical Services – DGAFMS) कहा जाए। यह महानिदेशक सशस्त्र बलों की चिकित्सा आवश्यकताओं के बारे में सुप्रीम कमांडर (राष्ट्रपति) या रक्षा मंत्री के प्रमुख सलाहकार होंगे। वे सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के प्रशासनिक प्रमुख भी होंगे।

इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य तीनों बलों की चिकित्सा सेवाओं के समन्वय को सुनिश्चित करना और सभी बलों की चिकित्सा आवश्यकताओं को सर्वोत्तम तरीके से पूरा करना था। DGAFMS का पद सशस्त्र बलों के लिए एकीकृत चिकित्सा सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है, जो समय-समय पर चिकित्सा अनुसंधान और चिकित्सा देखभाल में सुधार के लिए नीतियां बनाता है।

VICE Admiral Dr. Arti Sarin BECOMES FIRST WOMAN TO HEAD AFMS(Armed Forces Medical Services)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!
.site-below-footer-wrap[data-section="section-below-footer-builder"] { margin-bottom: 40px;}