धनबाद, झारखंड – 3 जनवरी, 2025: झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार के नेतृत्व में आज धनबाद में शहीद SP रणधीर प्रसाद वर्मा की 34वीं शहादत दिवस मनाया गया। शहीद स्मारक पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में हजारों लोगों ने भाग लिया और शहीद वर्मा को नमन किया।
एक योद्धा का बलिदान
1980-90 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद अपने चरम पर था। धनबाद जैसे शहर भी आतंकवादियों के निशाने पर थे। इन चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में एसपी रणधीर वर्मा ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए 3 जनवरी, 1991 को एक बैंक लूट की घटना को नाकाम कर दिया। इस दौरान वे शहीद हो गए। उनके इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत भारत का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार, अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
कर्तव्य और देशप्रेम का प्रतीक
शहीद वर्मा की पत्नी, रीता वर्मा ने इस अवसर पर कहा, “रणधीर का जीवन हमें सिखाता है कि कर्तव्य और देशप्रेम हमेशा सर्वोपरि होते हैं।” उनकी इस बात ने सभी को भावुक कर दिया। राज्यपाल गंगवार ने भी शहीद वर्मा के बलिदान को राष्ट्र के लिए प्रेरणा का स्रोत बताया।
एक अमर विरासत
शहीद रणधीर वर्मा की विरासत आज भी जीवंत है। धनबाद में स्थित उनका स्मारक देशभक्ति का प्रतीक है। हर साल यहां आयोजित होने वाली श्रद्धांजलि सभा में लोग उनके बलिदान को याद करते हैं और युवा पीढ़ी को देश सेवा के लिए प्रेरित करते हैं।
हम क्या सीख सकते हैं?
शहीद रणधीर वर्मा का जीवन हमें सिखाता है कि:
- कर्तव्य निभाना: हमें अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाना चाहिए।
- देश सेवा: देश की सेवा करना हमारा सर्वोच्च कर्तव्य है।
- साहस: कठिन परिस्थितियों में भी हमें साहस नहीं खोना चाहिए।
- बलिदान: देश के लिए बलिदान करना सबसे बड़ा सम्मान है।
शहीद रणधीर वर्मा का बलिदान हमेशा हमें प्रेरित करता रहेगा। आइए, हम सब मिलकर उनके आदर्शों पर चलें और देश सेवा में अपना योगदान दें।
34th Martyrdom Day of Martyr SP Randhir Prasad Verma: Inspiration of the Nation