
दिल्ली, 13 नवंबर – भारत ने तपेदिक (TB) के खिलाफ अपनी लड़ाई में असाधारण गति हासिल की है। 2015 से 2024 के बीच देश में टीबी की घटनाओं में 21% की उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से लगभग दोगुनी है। इसी अवधि में, मृत्यु दर में भी तेज़ी से कमी आई है, जो देश के स्वास्थ्य प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
वैश्विक लक्ष्यों से आगे भारत
टीबी के इलाज को लेकर भारत ने वैश्विक मानदंडों को पीछे छोड़ दिया है। वर्तमान में, उपचार कवरेज 92% तक पहुँच चुका है, और उपचार सफलता दर 90% तक बढ़ गई है। ये आंकड़े ‘टीबी मुक्त भारत’ (#TBMuktBharat) के राष्ट्रीय लक्ष्य की ओर देश के दृढ़ संकल्प को स्पष्ट करते हैं।

प्रौद्योगिकी और पोषण से सशक्तिकरण
टीबी के इलाज को लेकर भारतकी प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर, राष्ट्र टीबी देखभाल में बड़ा परिवर्तन ला रहा है। प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
- एआई-सक्षम एक्स-रे (AI-enabled X-rays): निदान को तेज और सटीक बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मरीज़ों की पहचान में आसानी हो रही है।
- विस्तारित निदान अवसंरचना: देश भर में नैदानिक (Diagnostic) सुविधाओं का व्यापक विस्तार किया गया है, ताकि हर टीबी मरीज़ तक जाँच की पहुँच सुनिश्चित हो सके।
- निक्षय पोषण योजना ( Poshan Yojana): इस योजना के तहत लाखों टीबी मरीज़ों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान की जा रही है, जो उपचार की सफलता और रिकवरी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह योजना मरीज़ों को सशक्त बना रही है।
ये प्रयास दर्शाते हैं कि भारत न केवल बीमारी को नियंत्रित कर रहा है, बल्कि टेक्नोलॉजी और पोषण के संयोजन से एक निर्णायक बदलाव ला रहा है।
भारत पूरी दृढ़ता के साथ 2025 तक टीबी को खत्म करने के अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, जो वैश्विक लक्ष्य (2030) से पाँच साल पहले है।



