इन दिनों मिट्टी के बर्तन, सुराही और थर्मस का बाजार सज गया है. इनकी खूब बिक्री हो रही है. गर्मी से परेशान लोगों के लिए प्यास बुझाने का यही एकमात्र उपाय बचा है. रांची के विभिन्न चौक-चौराहों पर मिट्टी के बर्तनों का बाजार देखा जा सकता है, जिसमें मिट्टी से बने छोटे थर्मस और बड़े-बड़े घड़े और सुराही लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं.
डोरंडा, कडरू और किशोरगंज इलाके में कुम्हार समुदाय के लोग बाजार में घड़े और सुराही बेचते नजर आते हैं. सुराही और देसी थर्मस खरीदने आए ग्राहकों का कहना है कि एक समय था जब लोग मिट्टी के बर्तन में चाय और पानी पीते थे. लेकिन धीरे-धीरे दुनिया आधुनिकता की ओर बढ़ने लगी और उन्होंने फ्रिज और एसी जैसी चीजों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इनके इस्तेमाल से वह बीमार भी रहने लगे. जिसके बाद अब फिर से लोगों का रुझान मिट्टी के बर्तनों की ओर बढ़ गया है. लोग फिर से पौराणिक परंपराओं और वस्तुओं का प्रयोग करने लगे हैं
मिट्टी के बर्तन बेचने वाले दुकानदारों ने बताया कि गर्मी के मौसम में हम दुकानदारों को कुछ मुनाफा हो जाता है. लेकिन लोग अभी भी उस तरह से खरीदारी नहीं कर रहे हैं जैसी व्यापारियों को उम्मीद थी. उन्होंने बताया कि इस साल वे आसनसोल, बर्धमान और पश्चिम बंगाल के अन्य जिलों से मिट्टी के डिजाइनर आइटम लेकर आये हैं, जिनकी कीमत 300 रुपये से 500 रुपये के बीच रखी गयी है.