भारतीय फुटबॉल के दिग्गज और कप्तान सुनील छेत्री ने आज अपने 20 साल के शानदार फुटबॉल करियर को समाप्त करने का ऐलान किया। उन्होंने यह घोषणा कुवैत के खिलाफ खेले गए फीफा वर्ल्ड कप क्वालीफायर मैच के बाद की। इस मैच में उनकी अंतिम भागीदारी के साथ, छेत्री ने भारतीय फुटबॉल के इतिहास में एक सुनहरे अध्याय को समेटा है ।
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— Sunil Chhetri (@chetrisunil11) May 16, 2024
छेत्री ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर में कुल 145 मैच खेले और 93 गोल किए, जो उन्हें भारतीय फुटबॉल के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक बनाता है। उनके नेतृत्व और अद्वितीय खेल कौशल ने भारतीय फुटबॉल को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी उपलब्धियों में कई महत्वपूर्ण टूर्नामेंट और मैच शामिल हैं, जहां उन्होंने अपने असाधारण प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया।
छेत्री का करियर भारतीय फुटबॉल प्रेमियों और खिलाडियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने न केवल अपने खेल से बल्कि अपने समर्पण और नेतृत्व से भी युवा खिलाड़ियों के लिए एक मिसाल कायम की है। उनकी रिटायरमेंट के साथ, भारतीय फुटबॉल के एक युग का अंत हो जाएगा, लेकिन उनका योगदान और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
सुनील की यात्रा साल 2000 में शुरू हुई। उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय टीम में शामिल हुए । वह जल्द ही टीम में मुख्य आधार बन गए। सुनील की प्रतिभा निखर कर सामने आई और उन्होंने भारत को नेहरू कप, एसएएफएफ चैम्पियनशिप और एएफसी चैलेंज कप सहित कई जीतें दिलाईं। नेट पर लगातार गोल करने की उनकी क्षमता ने उन्हें दुनिया के शीर्ष अंतरराष्ट्रीय गोल स्कोररों में से एक बना दिया है।
छेत्री के संन्यास के बाद, भारतीय फुटबॉल टीम को उनके जैसा एक और समर्पित और कुशल खिलाड़ी मिलना चुनौतीपूर्ण होगा। हालांकि, छेत्री ने उम्मीद जताई है कि भारतीय फुटबॉल भविष्य में और भी ऊंचाइयों को छुएगा और युवा खिलाड़ी उनके नक्शेकदम पर चलकर देश को गौरवान्वित करेंगे। सुनील छेत्री का संन्यास भारतीय फुटबॉल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत लंबे समय तक भारतीय खेल प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगी।