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भारतीय सेना ने नए ‘कोट कॉम्बैट’ (डिजिटल प्रिंट) के लिए IPR हासिल किए

नई दिल्ली: भारतीय सेना ने अपनी आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। सेना ने न्यू कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के नए डिज़ाइन के लिए सफलतापूर्वक बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) प्राप्त कर लिए हैं। इस कदम से न केवल सैनिक कल्याण को बल मिला है, बल्कि रक्षा वस्त्र प्रणालियों में नवाचार के प्रति सेना की प्रतिबद्धता भी मजबूत हुई है।

डिज़ाइन और विकास

न्यू कोट कॉम्बैट को जनवरी 2025 में भारतीय सेना में पेश किया गया था। इस परिधान को सेना डिज़ाइन ब्यूरो के तत्वावधान में, राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट, नई दिल्ली) द्वारा एक परामर्श परियोजना के रूप में डिज़ाइन और विकसित किया गया है।

यह एक तीन-परतों वाला परिधान है, जिसमें उन्नत तकनीकी वस्त्रों का उपयोग किया गया है। इसका एर्गोनॉमिक डिज़ाइन विभिन्न जलवायु और सामरिक परिस्थितियों में सैनिक के आराम, गतिशीलता और परिचालन दक्षता को अधिकतम करने के लिए अनुकूलित किया गया है।

कानूनी सुरक्षा और IPR पंजीकरण

भारतीय सेना ने पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क महानियंत्रक, कोलकाता के साथ डिज़ाइन आवेदन संख्या 449667-001 के तहत न्यू कोट कॉम्बैट का सफल पंजीकरण किया है। यह पंजीकरण 07 अक्टूबर 2025 को पेटेंट कार्यालय के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित हुआ।

इस पंजीकरण के साथ, डिज़ाइन और पैटर्न दोनों के बौद्धिक संपदा अधिकार पूरी तरह से भारतीय सेना के पास सुरक्षित रहेंगे। यह सेना को किसी भी अनधिकृत संस्था द्वारा इसके निर्माण, पुनरुत्पादन या व्यावसायिक उपयोग के विरुद्ध कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।

“इन अधिकारों के किसी भी उल्लंघन पर डिज़ाइन अधिनियम, 2000 और डिज़ाइन नियम, 2001 तथा पेटेंट अधिनियम, 1970 के प्रावधानों के अनुसार निषेधाज्ञा और क्षतिपूर्ति के दावों सहित कानूनी परिणाम भुगतने होंगे।”

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न्यू कोट कॉम्बैट पहनावा की विशेषताएं

यह नया पहनावा युद्ध कार्यक्षमता को आराम और सुरक्षा के साथ एकीकृत करता है और इसमें तीन प्रमुख परतें शामिल हैं:

  1. बाहरी परत: यह डिजिटल रूप से मुद्रित कोट है, जिसे विभिन्न भूभागों में परिचालन स्थायित्व और प्रभावी छिपाव (Camo) के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  2. आंतरिक जैकेट: हल्के, सांस लेने योग्य सामग्रियों से बनी यह मध्य परत गति को बाधित किए बिना आवश्यक गर्मी प्रदान करती है।
  3. थर्मल परत: यह आधार परत (बेस लेयर) है जो अत्यधिक मौसम में तापीय विनियमन और नमी नियंत्रण सुनिश्चित करती है।

‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर बढ़ता कदम

यह IPR पंजीकरण भारतीय सेना के रक्षा वस्त्र प्रणालियों में नवाचार, डिज़ाइन संरक्षण और आत्मनिर्भरता पर बढ़ते ज़ोर को रेखांकित करता है। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न और सेना के ‘परिवर्तन के दशक (2023-2032)’ के साथ पूरी तरह से संरेखित है।

सेना का यह कदम न केवल सैनिकों के कल्याण और परिचालन तैयारियों को प्राथमिकता देता है, बल्कि देश की रक्षा जरूरतों के लिए स्वदेशी समाधान विकसित करने की दिशा में एक स्पष्ट संदेश भी देता है।


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