नई दिल्ली: भारत को हाई-टेक विनिर्माण के वैश्विक मानचित्र पर मज़बूती से स्थापित करने की दिशा में एक युगांतरकारी कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए ₹7,280 करोड़ की महत्वकांक्षी योजना को मंज़ूरी दे दी है। यह ‘पहले-अपनी-तरह’ की पहल भारत की तकनीकी संप्रभुता और चीन पर महत्वपूर्ण आयात निर्भरता को समाप्त करने के लिए निर्णायक मानी जा रही है।
क्यों है REPM इतना महत्वपूर्ण?
REPM, जिसे अक्सर ‘चुंबकों का राजा’ कहा जाता है, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का पावरहाउस है। यह स्थायी चुंबकों में सबसे मजबूत होते हैं और निम्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए अनिवार्य हैं:
- इलेक्ट्रिक वाहन (EV): उच्च दक्षता वाली मोटरों के लिए।
- नवीकरणीय ऊर्जा: पवन टर्बाइनों में बिजली उत्पादन के लिए।
- रक्षा और एयरोस्पेस: मिसाइल गाइडेंस सिस्टम और विशेष उपकरण।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: स्मार्टफोन, हार्ड ड्राइव और रोबोटिक्स।

योजना के दोहरे लक्ष्य: Net Zero और Global Competitiveness
यह योजना सिर्फ विनिर्माण को बढ़ावा नहीं देगी, बल्कि एक संपूर्ण REPM पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करेगी।
- एकीकृत विनिर्माण: इसका लक्ष्य 6,000 MTPA की एकीकृत क्षमता स्थापित करना है। इसमें दुर्लभ पृथ्वी ऑक्साइड को धातु, फिर मिश्र धातु और अंत में तैयार सिंटर्ड REPM में बदलने की पूरी प्रक्रिया भारत में ही होगी।
- वित्तीय प्रोत्साहन: कुल ₹7,280 करोड़ के परिव्यय में 5 वर्षों के लिए ₹6,450 करोड़ का उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (Sales-Linked Incentive) और सुविधाएँ स्थापित करने के लिए ₹750 करोड़ की पूंजी सब्सिडी शामिल है।
- संवर्धित सुरक्षा: यह पहल ऑटोमोटिव, रक्षा और एयरोस्पेस जैसे रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती सुनिश्चित करेगी।
- रोजगार सृजन: घरेलू विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
REPM निर्माण के ‘सुपरहीरो’ तत्व: दुर्लभ पृथ्वी तत्व (REE) क्या हैं?
आपके प्रश्न का उत्तर है: सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (REPM) के निर्माण में मुख्य रूप से नियोडाइमियम (Neodymium) और प्रसियोडाइमियम (Praseodymium) जैसे दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का उपयोग किया जाता है।
लेकिन उच्च प्रदर्शन और तापमान प्रतिरोध (high-temperature resistance) प्राप्त करने के लिए अक्सर इसमें डिस्प्रोशियम (Dysprosium) और टेरबियम (Terbium) जैसे तत्वों को भी मिलाया जाता है।



