धर्म

नरेंद्र मोदी ने गोवा में भगवान राम की 77-फीट प्रतिमा का लोकार्पण किया

कनकोण, गोवा: भारत की आध्यात्मिक चेतना को एक नया आयाम देते हुए, दक्षिण गोवा के शांत तटवर्ती क्षेत्र में स्थित श्री संस्थान गोकर्ण पर्तगाली जीवोत्तम मठ में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की एक अभूतपूर्व 77-फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का भव्य लोकार्पण किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मठ के 550वें वर्ष के ऐतिहासिक ‘सार्ध पंचशतामनोत्सव’ के दौरान, शुक्रवार, 28 नवंबर, 2025 को इस विशाल कृति को राष्ट्र को समर्पित किया। यह मूर्ति न केवल कलात्मक उत्कृष्टता का शिखर है, बल्कि यह मठ की सदियों पुरानी धार्मिक विरासत का एक सशक्त प्रतीक भी बन गई है।

शिल्पकार राम सुतार की अद्भुत कृति

यह अद्वितीय प्रतिमा, जिसे ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के निर्माता, विख्यात मूर्तिकार पद्म भूषण राम वी.एस. सुतार ने गढ़ा है, भगवान राम के सौम्य और वीर स्वरूप को दर्शाती है। 77 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह प्रतिमा भक्तों को दूर से ही दिखाई देती है, जो इसे देश की सबसे ऊंची राम प्रतिमाओं में से एक बनाती है।

पर्तगाली मठ, जो कि कुशावती नदी के किनारे स्थित है और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण वैष्णव समुदाय का आदि केंद्र है, इस समय अपनी 550 वर्ष की यात्रा का भव्य उत्सव मना रहा है। यह अनावरण 11-दिवसीय उत्सव (27 नवंबर से 7 दिसंबर) के केंद्र में रहा।

थीम पार्क और स्मरणीय डाक टिकट का विमोचन

इस ऐतिहासिक आयोजन के दौरान, प्रधानमंत्री ने मठ परिसर में विकसित किए गए ‘रामायण थीम पार्क’ का भी उद्घाटन किया। इस उद्यान में रामायण के महत्वपूर्ण प्रसंगों को कलाकृतियों और हरियाली के माध्यम से जीवंत किया गया है, जिससे यह स्थल तीर्थयात्रियों के लिए एक शिक्षाप्रद और शांतिपूर्ण अनुभव बन गया है।

मठ की 550वीं वर्षगांठ की याद में, एक विशेष स्मारक सिक्का और एक विशेष डाक टिकट भी जारी किए गए, जो मठ के आध्यात्मिक योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्रदान करते हैं।

प्रधानमंत्री का संदेश: विरासत की रक्षा, राष्ट्र की प्रगति

इस अवसर पर एकत्रित विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा ऐसे समय में स्थापित हुई है जब राष्ट्र अपनी प्राचीन विरासत को गर्व के साथ पुनः स्थापित कर रहा है। उन्होंने इस आयोजन को अयोध्या में भव्य श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बताया।

प्रधानमंत्री ने एकता और सामाजिक समरसता के महत्व पर बल देते हुए कहा, “हमारी विरासत और एकता ही विकसित भारत की नींव है। जब धर्म और संस्कृति के केंद्र सशक्त होते हैं, तो राष्ट्र अपने आप सशक्त हो जाता है।”

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