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DRDO का लड़ाकू विमान एस्केप सिस्टम का हाई-स्पीड रॉकेट-स्लेड परीक्षण सफल!

चंडीगढ़: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय रक्षा क्षमता में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए लड़ाकू विमानों में इस्तेमाल होने वाले एस्केप सिस्टम (पायलट को सुरक्षित बाहर निकालने की प्रणाली) का सफलतापूर्वक उच्च-गति रॉकेट-स्लेड परीक्षण किया है। यह जटिल गतिशील परीक्षण टर्मिनल बैलिस्टिक्स रिसर्च लेबोरेटरी (TBRL), चंडीगढ़ में स्थित रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) सुविधा में किया गया।

इस सफलता के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है जिनके पास उन्नत इन-हाउस एस्केप सिस्टम परीक्षण की क्षमता है।

परीक्षण की मुख्य बातें

यह परीक्षण एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के सहयोग से किया गया। इस दौरान:

  • नियंत्रित गति: एलसीए विमान के अगले हिस्से (फोरबॉडी) वाले दोहरे स्लेड सिस्टम को कई ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटरों की चरणबद्ध फायरिंग के माध्यम से एक सटीक नियंत्रित उच्च गति (लगभग 800 किमी/घंटा) तक पहुँचाया गया।
  • सत्यापन: परीक्षण ने सफलतापूर्वक कैनोपी विच्छेद (Canopy Severance), इजेक्शन अनुक्रमण (Ejection Sequencing), और पूर्ण एयरक्रू रिकवरी को मान्य किया।
  • गतिशील परीक्षण का महत्व: यह डायनामिक इजेक्शन टेस्ट स्टैटिक (स्थिर) परीक्षणों जैसे नेट टेस्ट या ज़ीरो-ज़ीरो टेस्ट की तुलना में कहीं अधिक जटिल होते हैं और इजेक्शन सीट के प्रदर्शन और कैनोपी विच्छेद प्रणाली की प्रभावकारिता को जाँचने का वास्तविक पैमाना हैं।
  • डेटा रिकॉर्डिंग: पूरी प्रक्रिया के दौरान, एक इंस्ट्रूमेंटेड एंथ्रोपोमॉर्फिक टेस्ट डमी (मानव-आकृति वाला पुतला) का उपयोग किया गया, जिसने बाहर निकलने वाले पायलटों द्वारा अनुभव किए जाने वाले महत्वपूर्ण भार, बल, और त्वरण को रिकॉर्ड किया।
  • निगरानी: संपूर्ण अनुक्रम को ऑनबोर्ड और ग्राउंड-बेस्ड इमेजिंग सिस्टम के माध्यम से कैप्चर किया गया। भारतीय वायु सेना (IAF) और इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन व सर्टिफिकेशन के अधिकारियों ने इस परीक्षण को देखा।

रक्षा मंत्री ने दी बधाई

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस सफल परीक्षण के लिए DRDO, भारतीय वायुसेना, एडीए, एचएएल और उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने इसे आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने भी इस सफल प्रदर्शन के लिए DRDO टीम को शुभकामनाएं दीं।

यह सफलता स्वदेशी लड़ाकू विमानों जैसे तेजस और आगामी AMCA के लिए सुरक्षित और मजबूत इजेक्शन प्रणाली विकसित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।

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